Thursday, June 03, 2021

मुसाफिर

 यू लिखना चाहो, तो कुछ भी लिख डालो

लेकिन जो दिल को रास आए उसे लिखने में ठहराव आए

सोचता हूं की हो गा क्या ईन शबदो से

पर मन बोला लिख ​​दो मिया कसम से

ना इधर सोचो ना उधर बस मन में है जो उसे करो ब्यान 

पढ़ने वालो पे मत जाओ नहीं तो कलम को दे दोगे दगा

मैं मुसाफिर सा जिसे मंजिल का ना पता

लिखता जा रहा जो मेरे मन मैं आ रहा


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