Sunday, December 12, 2021

Play/खेल (Badminton)

 Meetings को दिया विश्राम

जब खेलने का हुआ Alarm

हर रोज एक घंटे का है ये जश्न

जिसके लिए उकसाय मन हरदम 


है मन मे एक जूनून

पसीना निकले तो आये सुकून

खेलने का जोश बरकरार

मन बोले अभी तो तुम जवान हो मेरे यार


खेलने का रहता बेसब्री से इंतज़ार

बीवी बोले थोड़ा घर पे भी दे दो ध्यान

पर कैसे समझाएं उनको जो पसीने से होते हताश

खेलने से मिले परम सुख का अहसास


हार जीत का फर्क न पड़े

पर पसीना न निकले तो मन रोये

खेल मे होता ऐसा मग्न मन

सारी दुनिया की फिकर छोड़ देते फिर हम


नए लोगो से होती मुलाकात

और team बनाते अंजानो के साथ

कोई निकले खिलाडी तो कोई अनाड़ी

पर सभी को है खेलने की बीमारी


कोई  लगाए crepe bandage हाथों  पर 

कोई  लगाए crepe bandage पैरों  पर 

कोई बनाये चोटी तो कोई लगाए टोपी

कपड़ो के रंगो का है यहाँ भंडार

Shuttle भी आये कई रंगो मे यार


Courts कम और players ज्यादा

यही है रोज का बोल बाला

कोई स्कूटर तो कोई साइकिल

कोई कार पे तो कोई पैदल

हर किसी मे लगी होड़

मैं खेल  पाऊँ और


समय जैसे थम सा जाये

जब खेलने मे हम मग्न हो जाये

रूह भी बोले वाह जनाब

मजा आ गया जीवन का तेरे साथ


ऐसा लगे मानो सबको करे खेल एक

भाषा, रंग और रूप का न करे कोई परहेज़

सबको एक बनाता खेल

समानता का ये अनोखा मेल


कभी जो भूले हम खेलने का time

बच्चा  बोले पापा हो गया आपका जाने का time

तो उठाया bagऔर पानी की bottle

और निकल पड़े उत्साह से खेलने फिर से आज