सोचा कुछ नया करें current times मे
तो रख ली दाढ़ी हमने लॉकडाउन में
क्या पता था इतना कहर ढायेगा ये शौक
जब भी कोई मिले बोले ये क्या हो गया मेरे दोस्त
कोई कहे सन्यास ले लिया क्या
कोई कहे तालिबान से जुड़ गए क्या
कोई कहे अच्छी नहीं लगती ये
कोई कहे मुस्लमान लग रहे हो बे
कोई कहे क्या बात प्रोफेसर
कोई कहे लग रहे हो एक News reporter
ऑफिस वाले बोले तुम्हारा वीडियो और DP बिलकुल न मिले
हमने सोचा चलो वहां भी दाढ़ी वाली एक फोटो डाल दे
client भी हमारे पीछे न रह पाये
बोले लगते तुम एक bad ass boy
मैंने भी सोचा कितना अजीब है इंसान
एक दाढ़ी से बदल जाये उसकी पहचान
दाढ़ी को जैसा भड़ना है भड़ने दिया
कहीं मन में लगे कुछ तो हमने खुल के किया
जितनी wilderness दाढ़ी की भाड़े
उतनी है न जाने क्यूं मन को ठंडक मिले
कोरोना से बेतहाश हुए हम
दाढ़ी बढा के सुख ढून्ढ रहा मन
दाढ़ीको मैंने दी फुल छूट
देखें तो सही Chaos होता कितना खूब
No comments:
Post a Comment