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भार उठाये बहुत शरीर
पर मन का बोझ रहे भारी
Gym से बने तन तंदुरुस्त
लेकिन मन का Gym जाने कम
आशाओं और निराशों के तले मसले जाए सब
समझदार वही जो कर्म मे रहे जूता
आसान नहीं ये काम
सब द्वन्द चले मन के भीतर
अपने को संभालना लगे मुश्किल
भावनाओ के बवंडर मे मानो सब कुछ उसका लूटा
उस Gym की तलाश में निकले वो
जहां मन बने तंदुरुस्त
ये राह नहीं आसान
खुद की सोच मे है इसका समाधान
सोच बने आपके अनुभव और जानकारी से
इसे बदलने में लगे विकल्प
परिस्थिति से बदल कर
मन की स्थिति पे लगाओ जोर
जहां दुनिया में ढूँढ़ते हो खामियां
अपने गिरेबान में भी झांक लो एक पल
जीवन का सार सरल
पर इसे समझने में लगे जीवनकाल
अपनी सोच को जो करो पाक
मन के Gym का यही है अमृत
हर घड़ी अगर इसका करो अमल
मन का बोझ हो जाये ख़तम
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