Meetings को दिया विश्राम
जब खेलने का हुआ Alarm
हर रोज एक घंटे का है ये जश्न
जिसके लिए उकसाय मन हरदम
है मन मे एक जूनून
पसीना निकले तो आये सुकून
खेलने का जोश बरकरार
मन बोले अभी तो तुम जवान हो मेरे यार
खेलने का रहता बेसब्री से इंतज़ार
बीवी बोले थोड़ा घर पे भी दे दो ध्यान
पर कैसे समझाएं उनको जो पसीने से होते हताश
खेलने से मिले परम सुख का अहसास
हार जीत का फर्क न पड़े
पर पसीना न निकले तो मन रोये
खेल मे होता ऐसा मग्न मन
सारी दुनिया की फिकर छोड़ देते फिर हम
नए लोगो से होती मुलाकात
और team बनाते अंजानो के साथ
कोई निकले खिलाडी तो कोई अनाड़ी
पर सभी को है खेलने की बीमारी
कोई लगाए crepe bandage हाथों पर
कोई लगाए crepe bandage पैरों पर
कोई बनाये चोटी तो कोई लगाए टोपी
कपड़ो के रंगो का है यहाँ भंडार
Shuttle भी आये कई रंगो मे यार
Courts कम और players ज्यादा
यही है रोज का बोल बाला
कोई स्कूटर तो कोई साइकिल
कोई कार पे तो कोई पैदल
हर किसी मे लगी होड़
मैं खेल पाऊँ और
समय जैसे थम सा जाये
जब खेलने मे हम मग्न हो जाये
रूह भी बोले वाह जनाब
मजा आ गया जीवन का तेरे साथ
ऐसा लगे मानो सबको करे खेल एक
भाषा, रंग और रूप का न करे कोई परहेज़
सबको एक बनाता खेल
समानता का ये अनोखा मेल
कभी जो भूले हम खेलने का time
बच्चा बोले पापा हो गया आपका जाने का time
तो उठाया bagऔर पानी की bottle
और निकल पड़े उत्साह से खेलने फिर से आज
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