किस मंजिल जाना पता नहीं
पर भाग रहे भयंकर
समुंदर में अपना अस्तित्व ढूंढते हुए
ये बूँद तैर रही निरंतर
समुंदर बना इन्ही बूंदो से
ये है सब को खबर
फिर भी हर बूंद को लगे
वह है दूसरो से हटकर
जीवन का मूल क्या है
है एक बड़ी पहेली
कोई ढूंडे दारू में
तो कोई गुरु के वचनो में
जैसे जैसे उमर बढे
तज़ुर्बे से सीखे इंसान
शायद जिंदगी यही सिखाती
उम्र के साथ ही आती है समजदारी
पैसा बोलता इस जहाँ मे
यही सभी को खबर
जीवन का सार पैसे से जोड़कर
इंसान ने कर लिया अपना Murder
जितना भी मिले कम ही लगे
दूसरों से हमेशा तुलना करे
चक्रव्यूह चला पैसे का ऐसा
फस गया इंसान इसमें बुरी तरह
पैसे से लोग आदमी का मोल तोले
इससे बड़ा खोत क्या है जीवन मे
अपने ऊपर ही आती है हसी
9-5 की नौकरी करने मे ही
कट रही है उमर सारी
कभी लगे चलो छोड़ दे सब कुछ
और करें जो है दिल के अंदर
पर सोच के फटे ऐसी
रह गए Corporate नौकर बन कर
फिर भी दिल दस्तक देता बार बर
तू हार मत मन मेरे यार
वो भी दिन आएगा
जब तू बोलेगा मजा आ गया जीने का यार
छोटी छोटी चीजों को करा कर सराह
इसमें ही तो है जीवन का अर्क छिपा
कोई खुशी और गम बाटने को हो तेरे साथ
समझ अपने को Lucky यार
तू रात को Smile करके सो सके
तो समझ जा जी रहा जिंदगी मस्त तू Macha!!